Mind Reading Technology : अब कंप्यूटर पढ़ सकेगा हमारे मन की आवाज
AI : क्या मशीनें भी पछता सकती हैं?
वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है जो इंसान के दिमाग में सोचे गए शब्दों को पढ़कर आवाज में बदल सकती है (Mind Reading Technology)। यह इनोवेशन A.L.S. जैसे मरीजों के लिए नई उम्मीद है, जिससे वे बिना बोले भी बातचीत कर सकेंगे। uplive24.com पर पढ़िए नई रिसर्च के बारे में।
जरा सोचिए, अगर कोई मशीन आपके दिमाग में चल रहे शब्दों को पढ़कर उन्हें जोर से बोल दे, तो (Mind Reading Technology)? ये किसी साइंस-फिक्शन फिल्म जैसा लगता है, लेकिन अब यह हकीकत के करीब है।
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जो न सिर्फ आपके बोले हुए शब्दों को पहचान सकती है, बल्कि आपके सोचे हुए शब्द भी डिकोड कर सकती है (Mind Reading Technology)। इसे कहते हैं Inner Speech Decoding।
दुनिया भर के न्यूरोइंजीनियर (Neuroengineers) लंबे समय से ऐसे लोगों की मदद का सपना देख रहे हैं, जो बीमारी या चोट के कारण बोलने की क्षमता खो चुके हैं। अब एक नई स्टडी में साइंटिस्ट्स ने न केवल उन शब्दों को डिकोड किया जिन्हें मरीज बोलने की कोशिश कर रहे थे, बल्कि उन शब्दों को भी जिन्हें वे केवल कल्पना (Imagined Speech) में कह रहे थे।
क्या है Mind Reading Technology?
यह रिसर्च Cell Journal में प्रकाशित हुई है और BrainGate2 Clinical Trial का हिस्सा है। इसमें ऐसे मरीजों के दिमाग में इलेक्ट्रोड लगाए गए, जिनकी बोलने की क्षमता A.L.S. (Amyotrophic Lateral Sclerosis) जैसी बीमारी के कारण खत्म हो रही थी।
सर्जनों ने मोटर कॉर्टेक्स (Motor Cortex) में छोटे-छोटे इलेक्ट्रोड ऐरे लगाए - यह वही हिस्सा है जो बोलने के लिए मांसपेशियों को आदेश देता है।
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केसी हरेल का मामला
2023 में, Casey Harrell ने अपने दिमाग में इलेक्ट्रोड लगवाए थे। A.L.S. की वजह से उनकी आवाज सुनने लायक नहीं रह गई थी। कंप्यूटर ने उनके बोलने की कोशिश के दौरान दिमाग से आने वाले इलेक्ट्रिकल सिग्नल को रिकॉर्ड किया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) की मदद से लगभग 6,000 शब्दों को 97.5% सटीकता से पहचान लिया।
इसके बाद सिस्टम ने उनकी पुरानी आवाज के रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल करके उन्हीं शब्दों को सिंथेसाइज किया।
Inner Voice को पढ़ने की चुनौती
लेकिन यह सवाल भी उठा कि क्या सिस्टम कभी अनजाने में मरीज के मन में चल रही बातों को रिकॉर्ड कर सकता है (Mind Reading Technology)?
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की Dr. Erin Kunz और उनकी टीम ने जांच की कि क्या केवल कल्पना में बोले गए शब्दों को भी डिकोड किया जा सकता है। उन्होंने पाया कि यह संभव है और यह तरीका मरीजों के लिए कम थकाने वाला हो सकता है।
Inner Speech क्यों खास है?
- कम शारीरिक मेहनत : मरीज को जोर से बोलने की जरूरत नहीं, जिससे वे लंबे समय तक सिस्टम का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- तेज कम्युनिकेशन : बोलने की कोशिश से तेज प्रतिक्रिया मिल सकती है।
Mind Reading Technology न केवल टेक्नोलॉजी बल्कि भाषा की प्रकृति को समझने में भी बड़ा कदम है।
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